दुनिया के लिए आज भी पहेली बना हुआ है 400 साल पुराना ये मंदिर, हवा में झूलता है इसका एक खंभा, रामायण काल से माना जाता है इस मंदिर का संबंध

खबर जरा हटके डेस्क/अनंतपुर. भारत मंदिरों का देश है। यहां कई ऐसे मंदिर भी हैं, जो लोगों के बीच रहस्य की वजह बने हुए हैं। इन्हीं में से एक है, आंध्रप्रदेश का लेपाक्षी मंदिर। करीब 400 साल पुराना ये मंदिर 70 खंभों पर खड़ा है, लेकिन रहस्य की वजह इसका एक खंभा है। ये खंभा हवा में लटका हुआ है। इसके चलते इसे 'हैंगिंग टेम्पल' भी कहते हैं। पर हवा में झूलते इस खंभे का रहस्य आज तक कोई भी नहीं समझ पाया है। न ही कोई ये पता लगा पाया कि आखिर ये किस सपोर्ट से हवा में लटका है।

पहाड़ी की चोटी पर बना है मंदिर

- अनंतपुर जिले में स्थित ये मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर बना हुआ है, जिसे कुर्मासैलम कहा जाता है।
- इसका निर्माण 1583 में विरुपन्ना और वीरन्ना नाम के दो भाइयों ने कराया था। ये दोनों भाई विजयनगर नरेश के यहां काम करते थे।

- हालांकि, पौराणिक मान्यताएं ये भी हैं कि लेपाक्षी मंदिर का निर्माण अगस्त्य ऋषि ने करवाया था। इसे वीरभद्र मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

- इसमें शिव, विष्णु और वीरभद्र के पूजास्थल हैं। वहीं, मंदिर से कुछ दूरी पर नंदी की एक बड़ी सी प्रतिमा भी मौजूद है।

ब्रिटिश इंजीनियर्स भी नहीं समझे खंभे का रहस्य
-वैसे तो मंदिर विजयनगर शैली में बना है और पत्थर के 70 खंभों पर खड़ा है। पर इसका हवा में झूलता एक खंभा मध्य काल की इंजीनियरिंग के कमाल को दिखाता है। ये खंभा आर्किटेक्ट्स से लेकर यहां आने वाले सभी लोगों के लिए अजूबा बना हुआ है।

- इसे लेकर ये भी कहा जाता है कि ये अपनी मूल जगह से थोड़ा खिसका हुआ है, क्योंकि ब्रिटिश दौर में इंजीनियर्स ने इसके सपोर्ट सिस्टम का रहस्य तलाशने के लिए इसे खिसकाने की कोशिश की थी। हालांकि, वो पूरी तरह से इसमें कामयाब नहीं हो सके।

- वहीं, इसे लेकर धार्मिक मान्यता ये है कि इस खंभे के नीचे से कपड़ा निकालने से जीवन में सुख समृद्धि आती है। इसी वजह से यहां आने वाले श्रद्धालु खंभे के नीचे मौजूद खाली जगह से कपड़ा आर-पार कराते हैं।

रामायण काल से मंदिर का संबंध

- इस मंदिर का संबंध रामायण काल से बताया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब रावण ने सीता का अपहरण कर लिया था और उसे अपने साथ लेकर जा रहा था, तभी उसका सामना जटायु से हुआ था। सीता को छुड़ाने के लिए दोनों के बीच युद्ध हुआ और जटायु घायल होकर धरती पर गिर गया। जब राम, सीता की तलाश में वहां पहुंचे तो उन्होंने जटायु को देखकर 'ले पाक्षी' कहा। तेलगु के इस शब्द का मतलब 'उठो पक्षी' होता है। वहीं मंदिर में मौजूद पंजे के निशान को भी भगवान राम के पैर का निशान माना जाता है।

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