घंटों जाम में फंसी एंबुलेंस,तड़पता रहा मरीज़, किसी ने नहीं समझी रोगी की पीड़ा
लगातार बढ़ती आबादी और वाहनों की संख्या में होते इजाफे ने शहर की सड़कों पर जाम के हालात बना दिए हैं। कई बार तो स्थिति बेहत चौंकाने वाली होती है कि जाम में फंसने से घायलों और मरीजों की जान तक चली जाती है। लेकिन जिम्मेदार हालात सुधारने के नाम पर महज खानापूर्ती करते नजर आते हैं। ऐसा ही एक मामला भीलवाड़ा शहर में देखने को मिला है, जहां पर एक घंटे तक लगे जाम में एंबुलेंस फंसी रही। इससे मरीज की जान जाम में फंसी ऐंबुलेंस में अटकी रही।
जाम से बने हालात
शहर में बुधवार को रोडवेज बस स्टैंड के सामने एक घंटे से ज्यादा समय तक जाम लग गया। इस दौरान वाहन चालक जाम में फंसे रहे। वहीं मरीज को अस्पताल लेकर जा रही एंबुलेंस भी जाम में फंस गई। इससे जाम में फंसी एंबुलेंस में मरीज की सांसें अटकी रही। वहीं एंबुलेंस के लिए किसी ने भी रास्ता देने की जहमत तक नहीं उठाई। यहां तक कि जाम के वक्त वहां से पुलिस की तीन गाड़ियां निकल गई। लेकिन जाम खुलवाने के बारे में सोचा तक नहीं। सूचना के बाद रोड़वेज बस चौकी का हैड कांस्टेबल व एक अन्य युवक मौके पर पहुंचे। साथ ही राहगीरों की मदद से काफी मशक्कत के बाद जाम खुलवाया । इसके बाद ही लोगों को जाम से निजात मिली पाई। सूचना के बाद पुलिसकर्मी जाम खुलने के बाद मौके पर पहुंचे।
क्यों लगा जाम
शहर में कई बार भीड़-भाड़ वाले इलाके में ट्रैफिक पुलिस के जवान मौजूद नहीं रहते हैं। इससे जाम के हालात बन जाते हैं। जाम के चलते वाहन चालकों के साथ-साथ राहगीरों को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। यदि शहर में जहां भी जाम के हालात रहते हैं, वहां पर ट्रैफिक पुलिसकर्मी तैनात रहे तो शायद लोगों को जाम से निजात मिल सकती है।
समय पर नहीं खुलता जाम तो थम जाती सांसे
यदि समय पर जाम नहीं खुलता तो एंबुलेंस में मरीज की सांसे थम जाती। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि इस तरह जाम में फंसी एंबुलेंस में मरीज की जान चली जाती तो आखिर जिम्मेदार कौन होता। इस तरफ प्रशासन को ध्यान देने की सख्त जरूरत है।
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