अनोखा ‘डस्टबिन‘ कचरे को बदलेगा खाना पकाने की गैस में, राजस्थान के इस युवा का है कमाल
डस्टबिन की तरह दिखने वाली मशीन में घर या होटल का रोजाना का खाने-पीने का बचा कचरा डालकर गैस बनाई जा सकती है...
जयपुर। आविष्कारों की इस दुनिया में एक से बढक़र एक आविष्कार आए दिन होते रहते हैं। ऐसे राजस्थान के युवा ने भी एक ऐसे डस्टबिन का आविष्कार किया है जो ऑर्गेनिक वेस्ट को बैक्टीरिया द्वारा खाद में तब्दील कर गैस बना सकता है। स्वच्छ भारत अभियानके बीच राजधानी में एक स्टार्टअप तैयार हुआ है, जिसमें कचरे से खाना बनाने की गैस बन रही है। युवा इनोवेटर अमित जैन की ‘ऑर्गेनिक वेस्ट प्रोसेसर’ मशीन रोजाना बचे हुए खाने या ऑर्गेनिक वेस्ट को सक्रिय बैक्टीरिया द्वारा ऑर्गेनिक खाद में तब्दील कर देती है। साथ ही मीथेन गैस का भी निर्माण होता है, जिसे खाना बनाने के लिए आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है। डस्टबिन की तरह दिखने वाली मशीन में घर या होटल का रोजाना का खाने-पीने का बचा कचरा डालकर गैस बनाई जा सकती है।
15 टन कचरा यानी 50 एलपीजी सिलेंडर
अनुमान है कि मशीन से रोजाना 15 टन कचरा डम्पिंग यार्ड तक जाने से रुका। इससे करीब 4500 टन कार्बन डाई ऑक्साइड गैस का निर्माण नहीं हो पाया। जबकि इससे 600 किलो मीथेन गैस रोज उपयोग में ली गई। यह करीब 50 एलपीजी सिलेंडर के बराबर है। इसमें 5 किलो से लेकर 5 हजार किलो तक के प्रोसेसर शामिल हैं।
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आइआइटी से लेकर आर्मी तक इंस्टॉल
अमित के अनुसार सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल 2016 के तहत 100 किलो से ज्यादा कचरा पैदा करने वाले संस्थान को खुद ही यह कचरा खत्म करना होगा। अमित का कहना है कि धीरे-धीरे जागरुकता आ रही है। उनके इस टैंक को आइआइटी मंडी, हिमाचल यूनिवर्सिटी शिमला, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी जोधपुर , नगर निगम अलीगढ़ , झांसी, इंदौर, आर्मी उधमपुर, आर्मी जैसलमेर , नवोदय विद्यालय भीलवाड़ा जैसे संस्थान अपना चुके हैं। जबकि वे कई नगर निगम के साथ कंसल्टेंट के तौर पर भी कार्य कर चुके हैं। उनके को-फाउंडर डॉ. रवि भाटिया, मुकेश चौरडिय़ा और गजेन्द्र जैन हैं।
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